पारद मूर्च्छना | Parad Murchana | Murchana of Mercury
पारद मूर्च्छना | Parad Murchana | Murchana of Mercury मूर्च्छना - पारद का औषध के रूप में निर्माण करने के लिये अनेक विधियों का उपयोग किया जाता है। सामान्यतः पारद की वह, अवस्था जब उसे औषध के रूप में प्रयोग करने योग्य बना लिया जाता है उसे मूर्च्छना कहते है। पारद की दो प्रकार की मूर्च्छना होती है सगन्ध मूर्च्छना तथा निर्गन्ध मूच्छंना । गन्धक के साथ पारद को मूर्च्छना की जाती है वह सगन्ध मूर्च्छना कहलाती है। सगन्ध मूर्च्छना पुनः दो प्रकार की होती है। अग्नि संयोग द्वारा तथा निरग्नि विधि से। अग्नि के संयोग से जो सगन्ध मूर्च्छना की जाती है उसेक रससिन्दूर, मकरध्वज आदि उदाहरण है एवं निरग्नि सगन्ध मूर्छना के उदाहरण विभिन्न प्रकार के आनन्द भैरव, इच्छा भेदी आदि खरलीय रस माने जाते हैं। इसी प्रकार निर्गन्ध साग्नि मूच्छांना के अन्र्तगत रसकपूर, रसपुष्प आदि का सग्रह किया गया है तथा निरग्नि निर्गन्ध मूर्च्छना में मुग्धरस आदि माने जा सकते हैं। तत्तदिवधि प्रभेदेन रसस्याव्यभिचारतः। ब्याधिधातकता या स्यात् सा मता मूर्च्छना बुधैः। अर्थात् विभिन्न प्रकार की रसशास्त्रीय क्...