अग्न्याशय ( Pancreas )

अग्न्याशय (Pancreas)

          यह हथौड़े (Hammer) के आकार की हल्के पीत-धूसर, गुलाबी वर्ण की ग्रन्थि होती है। इसका भार लगभग 60-90 ग्राम व लम्बाई 12.5 सेमी. व चौड़ाई 5 सेमी. होती है। इसके चार भाग होते हैं - 
(1) शीर्ष भाग (Head)
(2) ग्रीवा भाग (Neck)
(3) काय भाग (Body)
(4) पुच्छ भाग (Tail)

अगन्याश्य Pancreas


1. अग्न्याशय शीर्ष :- यह थोड़ा मोटा भाग होता है जो ग्रहणी के सम्पर्क में रहता है।

2. अग्न्याशय ग्रीवा :- यह अग्न्याशय शीर्ष व काय के बीच का भाग है।

3. अग्न्याशय काय :- यह अग्न्याशय शीर्ष व पुच्छ के बीच का भाग है।

4. अग्न्याशय पुच्छ :- यह अग्न्याशय का सबसे अन्तिम भाग होता है। यह प्लीहा के सम्पर्क में रहता है।

अग्न्याशयवाहिनी (Pancreatic duct) :- अग्न्याशय ग्रन्थि मूल रूप से कई छोटे-छोटे खण्डों (Lobules) से बनी हुई एक ग्रन्थि है। यह एक उभयस्रावी ग्रन्थि है। इसके प्रत्येक Lobule से एक-एक सूक्ष्म नलिका निकलती है जो बाद में परस्पर मिलकर एक बड़ी नलिका का निर्माण करती है। इसे अग्न्याशय वाहिनी (Pancreatic duct) के नाम से जानते हैं। इसे duct of Wirsung भी कहते हैं। यह पुच्छ से शीर्ष की ओर अनुप्रस्थ दिशा में गमन करती है। यह नलिका यकृत्/पित्ताशय से आने वाली पित्त नलिका (Bile duct) से मिलकर संयुक्त पित्त नलिका (Common bile duct) के रूप में ग्रहणी में खुलती है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी एक सहायक अग्न्याशय वाहिनी (Accessory Pancreatic duct or duct of Santorini) भी होती है जो सीधे ही ग्रहणी में खुलती है।

          अग्न्याशय के भीतरी भाग में अन्तःस्रावी ऊतकों का समूह पाया जाता है जिसे लैंगरहैन्स कोशिका समूह (Islets of Langerhans) कहते हैं। इस समूह में तीन प्रकार की कोशिकाएँ मिलती हैं :- 

1. अल्फा कोशिकाओं (Alfa cells) में ग्लूकेगोन (Glucagon) नामक स्राव की उत्पत्ति होती है।
2. बीटा कोशिकाओं (Beta Cells) से इन्सुलिन (Insulin) का स्राव होता है जो शरीर में शर्करा के सन्तुलित स्तर को बनाये रखता है।
3. गामा कोशिकाओं (Gama Cells) को उक्त दोनों प्रकार की कोशिकाओं के विकास की पूर्वावस्था मान सकते हैं।

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